NCERT Study Material for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 'Tatanra - Vamiro Katha'
हमारे ब्लॉग में आपको NCERT पाठ्यक्रम के अंतर्गत कक्षा 10 (Course B) की हिंदी पुस्तक 'स्पर्श' के पाठ पर आधारित प्रश्नों के सटीक उत्तर स्पष्ट एवं सरल भाषा में प्राप्त होंगे।
यहाँ NCERT HINDI Class 10 के पाठ - 12 'तताँरा-वामीरो कथा' के मुख्य बिंदु दिए गए हैं जो पूरे पाठ की विषय वस्तु को समझने में सहायक सिद्ध होंगे।
Important key points /Summary which covers whole chapter (Quick revision notes) महत्त्वपूर्ण मुख्य बिंदु जो पूरे अध्याय को कवर करते हैं (त्वरित पुनरावृत्ति नोट्स)
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 'Tatanra - Vamiro Katha' - Summary in points.
तताँरा-वामीरो कथा
1. पाठ- तताँरा वामीरो कथा लोककथात्मक शैली पर आधारित कहानी है।
2. इसके लेखक लीलाधर मंडलोई हैं।
3. 'तताँरा वामीरो कथा' अंदमान निकोबार द्वीप समूह के एक छोटे से द्वीप पर केंद्रित है।
4. पाठ के आरंभ में लेखक ने बताया कि निकोबारियों का ऐसा मानना है कि अंदमान द्वीप समूह का अंतिम दक्षिणी द्वीप लिटिल अंदमान और निकोबार द्वीप समूह का पहला द्वीप कार निकोबार, प्राचीन काल (पहले के समय) में यह दोनों द्वीप एक ही थे।
5. इस कथा में लिटिल अंदमान और कार निकोबार द्वीप समूह के विभक्त (अलग) होने का कारण तताँरा और वामीरो के प्रेम और बलिदान को बताया गया है।
6. पाठ के नाम 'तताँरा वामीरो कथा' से ही पता चलता है कि यह दोनों कथा के मुख्य पात्र हैं।
7. तताँरा - तताँरा पासा गाँव का एक सुंदर, सभ्य और शक्तिशाली युवक था।निकोबारी उसे बहुत प्रेम करते थे वह एक नेक और मददगार युवक था। सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर (तैयार) रहता था। लोग मुसीबत के समय उसे याद करते और वह सबकी मदद करता। वह अपने गाँववालों की ही नहीं बल्कि पूरे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्त्तव्य समझता था। वह दिखने में तो आकर्षक था ही साथ ही उसके अच्छे स्वभाव के कारण सभी उसका आदर करते थे। वह हमेशा अपनी पारंपरिक पोशाक के साथ अपनी कमर में एक लकड़ी की तलवार बाँधे रखता था। उसके साहस के कारनामे प्रसिद्ध थे। लोगों का ऐसा विश्वास था कि उसकी तलवार में अद्भुत दैवीय शक्ति है।
8. वामीरो- वामीरो लपाती गाँव की एक सुंदर लड़की थी। उसकी आवाज़ अत्यंत मधुर थी। उसके गायन में एक जादू था इसलिए उसका श्रृंगार गीत सुनकर तताँरा अपनी सुध बुध खो बैठता है। वह धैर्यशील थी इसलिए तताँरा के लिए अपने मन में कोमल भावनाएँ होने के बावजूद भी वह अपने गाँव के नियमों का सम्मान करती है। वह बहुत भावुक है इसलिए परिवार वालों और गाँववालों के मना करने पर जब पशु पर्व के आयोजन के समय उसने तताँरा को देखा तो वह अपने दुख को और न सँभाल सकी और व्याकुल होकर रोने लगती है।
9. तताँरा और वामीरो की पहली भेंट - एक शाम तताँरा दिन भर के कड़े परिश्रम के बाद समुद्र किनारे टहलने जाता है। उस समय, सूर्यास्त के सुंदर वातावरण में, समुद्र से ठंडी हवाएँ बह रही थी और पक्षियों की आवाज़ें भी कम हो चुकी थी, वह अपनी थकान मिटाने के लिए समुद्री रेत पर बैठा, विचारों में डूबा हुआ सूरज की रंग- बिरंगी किरणों को समुद्र पर तैरते देख रहा था। अचानक उसे कहीं पास से एक मधुर गीत गूँजता सुनाई देता है। गायन इतना जादू भरा था कि तताँरा अपनी सुध-बुध खोता हुआ उसी गीत के स्वर की ओर बढ़ता चला जाता है। उसने देखा एक युवती समुद्र पर सूरज की किरणों के आकर्षक रंगों को देखती हुई गायन में डूबी हुई एक श्रृंगार गीत गा रही है। समुद्र की एक लहर जब उसे भिगो देती है तब वह हड़बड़ाहट में गाना भूल जाती है। उसके चुप हो जाने पर तताँरा उससे विनम्रतापूर्वक प्रश्न करता है कि "तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया?"
वामीरो अपने सामने एक सुंदर युवक को देख कर हैरान हो जाती है। उसके मन में उसके प्रति कोमल भावनाएँ जागती हैं परंतु वह तताँरा को यह कहकर उसके प्रश्न का उत्तर नहीं देती कि वह अपने गाँव के अलावा किसी और गाँव के युवक के प्रश्न का उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं है। यहाँ वामीरो के इस वाक्य के माध्यम से लेखक ने एक रूढ़िवादी सोच को उजागर किया है कि उस समय अंदमान निकोबार द्वीप की एक गाँव की युवती दूसरे गाँव के युवक से बात भी नहीं कर सकती थी। परंतु गीत के जादू में डूबे होने के कारण तताँरा बार-बार उससे एक ही प्रश्न किए जा रहा था। इस पर वामीरो झुँझला उठती है और तँतारा को लगभग डाँटते हुए हैं वहाँ से जाने लगती है। तब तताँरा को होश आता है और वह अपने व्यवहार के लिए माफ़ी माँगता है। साथ ही वामीरो को उसका नाम बताने की विनम्र प्रार्थना करता है। वामीरो अपना नाम बता कर वहाँ से जाने लगती है तब तताँरा याचना भरे स्वर में उससे प्रश्न पूछता है कि क्या वह कल भी उसी जगह आएगी? वामीरो "नहीं... शायद... कभी नहीं।" कह कर वहाँ से चली जाती है। परंतु तताँरा उसे अपना नाम बताता है और कल उसी जगह उसकी प्रतीक्षा करने की बात कहता है।
10. तताँरा से मिलने के बाद वामीरो के जीवन में परिवर्तन / वामीरो की स्थिति - घर पहुँचकर वामीरो बेचैनी महसूस करती है। उसकी आंँखों के सामने बार-बार तताँरा का याचना भरा चेहरा आता रहता है। पहली ही भेंट में तताँरा अपनी सभ्यता (शालीनता) का परिचय देता है। वह अनजाने में किए गए अपने व्यवहार के लिए वामीरो से माफ़ी माँगता है। वामीरो को तताँरा सुंदर, बलवान किंतु बेहद शांत, सभ्य और भोला लगा। बिलकुल वैसा ही जैसा वह अपने जीवनसाथी के बारे में सोचती थी। परंतु साथ ही उसे गाँव की रीति भी ध्यान आ रही थी कि किसी दूसरे गाँव के युवक के साथ विवाह संबंध परंपरा के विरुद्ध है। वह उसे भूल जाना चाहती थी परंतु उसे यह असंभव प्रतीत हुआ।
11. वामीरों से मिलने के बाद तताँरा की स्थिति- वामीरो को देखकर और उसका गीत सुनकर तताँरा पहले ही सम्मोहित हो चुका था (अपनी सुध-बुध खो चुका था)। किसी तरह रात बीती और किसी तरह ऊबाऊ दिन भी गुज़र गया। उसे अपने गंभीर और शांत जीवन में ऐसा पहली बार अनुभव हो रहा था जब वह अपनी स्थिति (हालत) के लिए हैरान भी था और प्रसन्न भी। उसे तो बस शाम का इंतज़ार था। वह शाम ढलने के बहुत पहले ही लपाती की उस समुद्री चट्टान पर पहुँचकर वामीरो की प्रतीक्षा करने लगा। तताँरा के पास बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी। इस वाक्य में लेखक ने तताँरा के मन की आशा की तुलना सूर्य की किरणों से की है और कहा है जैसे सूर्य की किरणें जब समुद्र पर पड़ती हैं तब लहरों के आने से समुद्र के पानी पर दिखाई दे रही सूर्य की छवि एक क्षण में मिट जाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि सूर्य डूब रहा हो। उसी तरह वामीरो के आने और उससे मिलने की तताँरा की आशा कभी भी समाप्त हो सकती थी।
12. वामीरो तताँरा से मिलने आई और फिर दोनों एक-दूसरे को एक टक निशब्द (बिना कुछ कहे) देखते रहे। इसी तरह वे कई दिन तक रोज़ मिलने लगे। धीरे-धीरे उनके प्रेम-संबंध की खबर पूरे गाँव में फैल गई।
13. पशु पर्व का आयोजन - पासा गाँव में वर्ष में एक बार इस पर्व का आयोजन किया जाता था जिसमें गाँव के सभी लोग हिस्सा लेते थे। पशु पर्व में हृष्ट - पुष्ट पशुओं के प्रदर्शन के साथ-साथ पशुओं और युवकों के बीच शक्ति परीक्षा प्रतियोगिता भी होती थी। बाद में नृत्य-संगीत और भोजन का भी प्रबंध होता था।
14. सार्वजनिक रूप से तताँरा का अपमान- पासा गाँव में होने वाले पशु पर्व में तताँरा भी गया परंतु उसका मन किसी भी कार्य में नहीं लगा। वह व्याकुल आँखों से वामीरो को ढूँढ़ रहा था। वामीरो भी तताँरा से मिलने के लिए बेचैन थी परंतु वह अपनी माँ के डर से तताँरा से नहीं मिल पा रही थी और उसे दूर से छिपकर देख रही थी। उनके प्रेम संबंध की खबर गाँव भर में फैल जाने के कारण शायद वामीरो की माँ ने उसे तताँरा से मिलने के लिए मना किया होगा। जब दोनों का आमना-सामना हुआ तब वामीरो अपने दुख को न सँभाल सकी और फूट-फूट कर रोने लगी। वामीरो का रुदन (रोना) तताँरा को और व्याकुल कर रहा था। वामीरो का रुदन सुनकर उसकी माँ ने तताँरा को सारे गाँववालों के सामने अपमानित किया। इस पर गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में बातें करने लगे। इस प्रकार सार्वजनिक रूप से तताँरा को अपमान सहना पड़ा।
15. अपमानित होने पर तताँरा की प्रतिक्रिया- तताँरा जिन गाँववालों की हमेशा मदद करता था और जो लोग उसे प्रेम करते थे, उन सभी से इस प्रकार सार्वजनिक रूप से अपमानित होना तताँरा के लिए असहनीय था। उसे जहाँ विवाह की इस परंपरा पर गुस्सा आ रहा था जिसमें अलग-अलग गाँव के लोगों के बीच संबंध नहीं हो सकता, वहीं उसे इस बात पर भी खीझ थी कि सारा गाँव उसके विरोध में खड़ा था। वामीरो का दुख तताँरा की व्याकुलता को और बढ़ा रहा था और जब कोई राह न सूझी तो अपने क्रोध का शमन करने के लिए उसने अपनी तलवार में शक्ति भरकर उसे धरती में घोंप दिया और पूरी ताकत से उसे खींचने लगा। धरती में लकीर खींचने से धरती दो भागों में टूटने लगी। धरती के एक भाग में तताँरा और दूसरे में वामीरो थी अचानक तताँरा वाला भाग नीचे समुद्र में धँसने लगा।
16. तताँरा - वामीरो के प्रेम का दुखद अंत - दोनों एक दूसरे का नाम पुकारते रहे लेकिन तताँरा उसकी भाग में फँसकर बहुत दूर चला गया और उसका कुछ पता नहीं चला कि वह कहाँ गया। वामीरो उसी जगह रोज़ भूखी- प्यासी तताँरा को ढूँढ़ने के लिए बैठी रहती। तताँरा के दुख में उसने अपना परिवार छोड़ दिया और वह न जाने कहाँ चली गई।
17. कथा का अंत - इस घटना के बाद अंदमान निकोबार दो द्वीपों में बँट गया। लेकिन निकोबारी अब दूसरे गाँव में भी वैवाहिक संबंध करने लगे। लेखक ने तताँरा - वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से आए परिवर्तन के साथ इस प्रेम कथा का अंत किया है।
18. संदेश - लेखक ने इस लोककथा के माध्यम से यह संदेश दिया है कि रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है।रूढ़ियाँ और बंधन समाज को अनुशासित करने के लिए बनते हैं परंतु जब इन्हीं के द्वारा मनुष्य की भावनाओं को चोट पहुँचे, बंधन बोझ लगने लगे तो उसका टूट जाना ही अच्छा होता है। कहानी में तताँरा और वामीरो का विवाह एक रूढ़ि के कारण नहीं हो सकता था जिसके कारण उन्हें अपनी जान देनी पड़ती है। इस तरह की रूढ़ियाँ किसी का भला करने की जगह नुकसान करती हैं। समय परिवर्तनशील है। समाज में भी परिवर्तन आते रहते हैं। बदलते समय के साथ अनावश्यक और लाभहीन रूढ़ियाँ केवल आडंबर बन जाती हैं। नई सोच और नए समाज के विकास के लिए इनका टूट जाना ही बेहतर होता है।
19. उद्देश्य - इस लोककथा के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि जो समाज के लिए अपने प्रेम का, अपने जीवन तक का बलिदान करता है, समाज उसे न केवल याद रखता है बल्कि उसके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देता। यही कारण है कि आज भी निकोबार द्वीप के निवासी तताँरा-वामीरो को गर्व और श्रद्धा से याद करते हैं।
20. शिक्षा (सीख) - प्रेम समाज को जोड़ता है, घृणा समाज में दूरी बढ़ाती है और क्रोध से सब कुछ नष्ट हो जाता है। यदि समाज पुरानी रूढ़ियों को तोड़ कर दोनों के प्रेम को स्वीकार कर लेता तो दो लोगों में ही नहीं दो गाँवों में संबंध जुड़ जाता। परंतु वामीरो के परिवार वालों और गाँववालों ने उन दोनों के प्रति घृणा का भाव रखा। जिसके परिणामस्वरूप तताँरा ने क्रोध में आकर अपना जीवन त्याग दिया और उसके दुख में वामीरो का जीवन भी नष्ट हो गया।
पाठ में प्रयुक्त मुहावरे -
1. सुध - बुध खोना - अपने वश में न रहना / होश खोना।
2. बाट जोहना - प्रतीक्षा करना / इंतज़ार करना।
3. खुशी का ठिकाना न रहना - अत्यधिक प्रसन्न होना।
4. आग बबूला होना - बहुत क्रोधित होना /गुस्सा होना।
5. फूट - फूट कर रोना - बहुत अधिक रोना।
6. एक - एक पल पहाड़ होना - प्रतीक्षा का समय मुश्किल से बीतना।
7. एकटक निहारना - बिना पलक झपकाए देखते ही रहना / लंबे समय तक देखते रहना।
8. आँखों में तैरना - मन में हमेशा मौजूद रहना।
9. राह न सूझना - कोई उपाय न मिलना।
10. आवाज़ उठाना - विरोध करना।
11. सुराग न मिलना - पता न मिलना।
12. एक ही राग अलापना - एक ही बात दोहराना।
इन मुख्य बिंदुओं को पढ़कर छात्र परीक्षा में दिए जाने वाले किसी भी प्रश्न का उत्तर देने में समर्थ हो सकेंगे। आशा है उपरोक्त नोट्स विद्यार्थियों के लिए सहायक होंगे।
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