NCERT Study Material for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 17 - 'Kartoos'
हमारे ब्लॉग में आपको NCERT पाठ्यक्रम के अंतर्गत कक्षा 10 (Course B) की हिंदी पुस्तक 'स्पर्श' के पाठ पर आधारित प्रश्नों के सटीक उत्तर स्पष्ट एवं सरल भाषा में प्राप्त होंगे।
यहाँ NCERT HINDI Class 10 के पाठ - 17 'कारतूस ' के मुख्य बिंदु दिए गए हैं जो पूरे पाठ की विषय वस्तु को समझने में सहायक सिद्ध होंगे।
Important key points /Summary which covers whole chapter (Quick revision notes) महत्त्वपूर्ण मुख्य बिंदु जो पूरे अध्याय को कवर करते हैं (त्वरित पुनरावृत्ति नोट्स)
कारतूस
~ पाठ 'कारतूस' एक एकांकी है।
~ इसके लेखक 'हबीब तनवीर' हैं।
~ एकांकी के मुख्य पात्र हैं - कर्नल, लेफ़्टीनेंट, सिपाही और एक सवार।
~ समय - सन् 1799 (आज़ादी से बहुत साल पहले), रात का समय।
~स्थान - गोरखपुर के जंगल में कर्नल कालिंज के खेमे के अंदर का हिस्सा।
~ एकांकी में दो अंग्रेज़ सिपाहियों (कर्नल कालिंज और लेफ़्टीनेंट) की बातचीत से तथा एक घटना से निम्नलिखित बातों का पता चलता है -
*वज़ीर अली कौन था ?
वज़ीर अली अवध के नवाब आसिफ़उद्दौला का पुत्र था।
(i) स्वतंत्रता प्रेमी - एकांकी में करनाल उसके बारे में कहता है कि उसके अफ़साने सुनकर रॉबिन हुड के कारनामे याद आ जाते हैं क्योंकि वज़ीर अली एक बहादुर और स्वतंत्रता प्रेमी व्यक्ति था। वह अंग्रेज़ों से नफ़रत करता था और उन्हें अपने देश से बाहर निकलना चाहता था। अपने पाँच महीने के शासनकाल में वज़ीर अली ने अवध के दरबार को अंग्रेज़ी सरकार के प्रभाव से बचाए रखा था इसलिए अंग्रेज़ी सरकार ने उसे उसके पद से हटाकर बनारस भेज दिया और उसके चाचा सआदत अली को अवध का राज्य सौंप दिया।
(ii) स्वाभिमानी - अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए उसने कंपनी (अंग्रेजों) के वकील की हत्या कर दी और वहाँ से भाग निकला।
(iii) हार न मानने वाला - वकील की हत्या करने के बाद अपने आपको गिरफ़्तारी से बचाने के लिए वजीर अली अपने मुट्ठी - भर (थोड़े से) साथियों के साथ आजमगढ़ और फिर घागरा होते हुए, गोरखपुर के जंगलों में कई सालों तक भटकता रहा। फिर भी उसने हार नहीं मानी।
(iv) बहादुर, निडर, होशियार और जाँबाज़ - कारतूस एकांकी में वज़ीर अली एक दिलेर और निडर व्यक्ति के रूप में हमारे सामने आता है जो इतना बहादुर और निडर है कि अकेले ही दुश्मन के खेमे में घुस जाता है जो उसे ही गिरफ़्तार करने के लिए बहुत से हथियारों के साथ जंगल में हफ़्तों से डेरा जमाए बैठे थे। वह बड़ी चालाकी से अंग्रेज़ी अवसर से कारतूस माँगता है। कारतूस प्राप्त हो जाने पर वह अपना असली नाम भी बताता है और कर्नल को जीवन दान देकर वहाँ से चला जाता है। उसकी बहादुरी के कारण कर्नल उसे एक जाँबाज़ (जान की बाज़ी लगाने वाला) सिपाही कहने पर विवश हो जाता है।
*सआदत अली कौन था?
सआदत अली अवध के नवाब आसिफ़उद्दौला का छोटा भाई और वज़ीर अली का चाचा था। वह ऐश पसंद आदमी था। वह अवध के तख्त पर बैठना चाहता था। आसिफ़उद्दौला का कोई पुत्र नहीं था इसलिए सआदत अली ने ऐसा मान लिया कि आसिफ़उद्दौला के बाद वह ही अवध का नवाब होगा। वज़ीर अली के पैदा होने को उसने अपनी मौत समझा अर्थात् वज़ीर अली के पैदा होने पर उसका अवध का नवाब बनने का सपना टूट गया। तब उसने अंग्रेज़ों से दोस्ती कर ली। कर्नल कालिंज ने वज़ीर अली को अवध के तख्त से हटाकर सआदत अली को वहाँ का नवाब बना दिया। इसके बदले सआदत अली ने कंपनी (अंग्रेज़ों) को अपनी आधी जायदाद और दस लाख रुपये नकद (cash) दिए। ऐसा करने से अंग्रेज़ों को धन का लाभ हुआ साथ ही अंग्रेज़ी सरकार के कड़े विरोधी वज़ीर अली को भी उसके पद से हटकर उन्होंने उसे अवध से दूर बनारस भेज दिया। सआदत अली स्वार्थी और अंग्रेज़ों का हिमायती था इसलिए वह एक देशद्रोही था।
*कंपनी के खिलाफ़ सारे हिंदुस्तान में लहर दौड़ रही थी -
लेफ़्टीनेंट कर्नल से बात करते हुए कहता है कि उसने यह सुना है कि वज़ीर अली ने अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे - ज़मा को अपनी मदद करने के लिए हिंदुस्तान पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया है। तब कर्नल लेफ़्टीनेंट को बताता है कि शाहे - ज़मा को सबसे पहले टीपू सुल्तान ने बुलाया था। वज़ीर अली के बाद उसे बंगाल के नवाब के भाई शमसुद्दौला ने भी मदद के लिए हिंदुस्तान बुलाया है। कर्नल से हुई बातचीत से लेफ़्टीनेंट को पता चला कि केवल वज़ीर अली ही नहीं बल्कि टीपू सुल्तान और बंगाल के नवाब का भाई शमसुद्दौला भी कंपनी के खिलाफ़ है। इन तीनों ने अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे - ज़मा से मदद माँगी है। तब लेफ़्टीनेंट को ऐसा लगा कि कंपनी के खिलाफ़ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई है अर्थात् अवध से लेकर बंगाल तक सभी अंग्रेज़ी शासन को खत्म करने का निश्चय कर चुके हैं।
* वज़ीर अली की आज़ादी कंपनी के लिए बहुत बड़ा खतरा कैसे थी?
कर्नल और लेफ़्टीनेंट दोनों बात करते हैं कि वज़ीर अली की आज़ादी कंपनी के लिए बहुत बड़ा खतरा है। उन्हें डर था कि अगर इन लोगों की अफगानिस्तान के बादशाह को बुलाने और देश को आज़ाद कराने के लिए बनाई गई योजना सफल हो गई तो लॉर्ड क्लाइव के नेतृत्व में हुई बक्सर और प्लासी की लड़ाई में अंग्रेज़ों को जो बड़ी जीत हासिल हुई थी और पूरे भारत में अंग्रेज़ों ने अपना प्रभाव बना लिया था, वह अब लॉर्ड वेल्जली के शासन में कंपनी खो देगी। इसलिए कर्नल कालिंज एक बहुत बड़ी फौज के साथ जंगल में अपना खेमा डालकर वज़ीर अली को गिरफ़्तार करने के लिए उसका पीछा कर रहा था।
*वजीर अली ने कंपनी के वकील का कत्ल क्यों किया?
अंग्रेज़ों ने वजीर अली को अवध के तख्त से हटाकर उसे बनारस भेज दिया और उसे तीन लाख रुपये सालाना वज़ीफ़ा (परवरिश के लिए दिया जाने वाला धन) के रूप में देना तय किया। कुछ महीने बाद गवर्नर जनरल ने उसे कोलकाता बुलवाया। वज़ीर अली ने इस बारे में कंपनी के वकील से शिकायत की। वकील ने वज़ीर अली की शिकायत की परवाह न करते हुए उसे बुरा - भला कहा। वज़ीर अली के मन में पहले से ही अंग्रेज़ों के लिए नफ़रत और गुस्सा भरा हुआ था। वकील के व्यवहार से उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुँची इसलिए उसने खंजर (छोटी तलवार) से वकील का कत्ल कर दिया।
* वज़ीर अली की स्कीम (योजना) क्या थी?
वकील का कत्ल करके वज़ीर अली अपने मुट्ठी भर (थोड़े से) साथियों के साथ आज़मगढ़ और फिर घागरा होते हुए गोरखपुर के जंगलों में कई सालों से अंग्रेज़ सिपाहियों को चकमा देकर उनसे बचता रहा लेकिन उनके हाथ नहीं आया।
उसकी स्कीम यह थी कि वह किसी तरह नेपाल पहुँचकर अपने-आप को सुरक्षित करें, अंग्रेज़ों के अधीन हिंदुस्तान पर अफ़गानी बादशाह शाहे - ज़मा के हमले का इंतज़ार करें, अपनी ताकत बढ़ाए, सआदत अली को उसके पद से हटाकर खुद अवध पर कब्ज़ा करें और अंग्रेज़ों को हिंदुस्तान से बाहर निकल दे।
*गर्द तो ऐसी उड़ रही है जैसे कि पूरा एक काफ़िला चला आ रहा हो मगर मुझे तो एक ही सवार नज़र आता है।
जब सिपाही ने आकर खबर दी कि दूर से धूल उठती हुई दिखाई दे रही है तब कर्नल वज़ीर अली और उसके साथियों के आने की आशंका से अपने सिपाहियों को सचेत रहने का आदेश देता है। जब लेफ़्टीनेंट और कर्नल दोनों स्थिति जानने के लिए खिड़की से बाहर देखते हैं तब उन्हें एक ही सवार दिखाई देता है। उस समय लेफ़्टीनेंट यह वाक्य बोलता है। वज़ीर अली जब घोड़े पर सवार होकर अकेला चल आ रहा था तब उसके घोड़े के टापों से उठी धूल इतनी अधिक थी कि मानो अनेक सैनिकों का समूह तेज़ी से दौड़ा चला आ रहा हो। इसका अर्थ यह है कि वज़ीर अली एक बलशाली और बहादुर योद्धा था। वह अकेला ही सिपाहियों के समूह के बराबर था।
*सवार कर्नल से मिलने क्यों आया था?
सवार कोई और नहीं, स्वयं वज़ीर अली था। उसे मालूम था कि कर्नल कालिंज अपनी फौज और हथियारों के साथ उसे गिरफ़्तार करने के लिए जंगल में डेरा डाले हुए है। वज़ीर अली को अंग्रेज़ों का मुकाबला करने के लिए कारतूस की ज़रूरत थी इसलिए वह निडरतापूर्वक खुद कर्नल के खेमे में गया उससे अकेले में बातचीत करके, उसे विश्वास दिलाया कि वह वज़ीर अली का दुश्मन है और वह भी उसे गिरफ़्तार करना चाहता है। इस काम के लिए उसने कर्नल से कुछ कारतूस माँगे। कर्नल ने उसे दस कारतूस दे दिए। इस प्रकार सवार (वज़ीर अली) ने कर्नल से मिलकर बड़ी चालाकी से कारतूस हासिल कर लिए।
* सवार के जाने के बाद कर्नल हक्का-बक्का क्यों रह गया ?
सवार के जाने के बाद कर्नल हक्का-बक्का अर्थात् हैरान रह गया क्योंकि जिस वज़ीर अली को कैद करने के लिए वह अपनी फ़ौज और हथियारों के साथ उसे पकड़ने के लिए इतने हफ़्तों से जंगल में डेरा जमाए बैठा था, वही वज़ीर अली सवार के रूप में स्वयं उसके खेमे में आता है। वह बड़ी चालाकी से उससे कारतूस लेकर चला जाता है और वह केवल देखता रह जाता है।
इन मुख्य बिंदुओं को पढ़कर छात्र परीक्षा में दिए जाने वाले किसी भी प्रश्न का उत्तर देने में समर्थ हो सकेंगे। आशा है उपरोक्त नोट्स विद्यार्थियों के लिए सहायक होंगे।
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