भ्रांतिजनक शब्दों की पहचान (Confusing words in Hindi ) भाग - 2
हिंदी भाषा में अनेक ऐसे शब्द हैं जो दिखने में लगभग समान होते हैं या उनका उच्चारण एक जैसा होता है अथवा भिन्न वर्तनी (spelling) अर्थात् अलग-अलग तरह से लिखे जाने के बाद भी उनके अर्थ के विषय में भ्रम (confusion) रहता है।
हिंदी वर्तनी के अशुद्ध प्रयोग को कम करने के उद्देश्य से हम अपने ब्लॉग में ऐसे ही कुछ शब्दों पर चर्चा करेंगे जो पूर्ण ज्ञान के अभाव में हमें भ्रमित करते हैं।
भाग - 2
स्रोत्र, स्तोत्र और स्त्रोत में अंतर
(Difference between Srotr, Stotr and Strot)
ये तीन शब्द एक - दूसरे से काफ़ी मिलते-जुलते हैं। सामान्यतः लोग भ्रम के कारण अथवा पूर्ण ज्ञान के अभाव में इनका गलत उच्चारण करते हैं और एक के स्थान पर दूसरे का प्रयोग करते हैं।
मुख्यतः स्रोत और स्त्रोत के बीच, भ्रम के कारण लोग भूल करते हैं। ध्यान से देखने पर इन दोनों शब्दों में मूल अंतर ज्ञात होता है।
यदि हम इनके वर्ण - संयोजन की बात करें तो स्रोत्र = (स् + र् + ओ +त् + अ) इन वर्णों के संयोग से मिलकर बना है।
स्त्रोत = (स् + त् + र् + ओ + त् + अ) इन वर्णों के संयोग से मिलकर बना है।
अतः यह स्पष्ट है कि लिखने के रूप में दोनों शब्दों में अंतर है। अब बात करते हैं इनके अर्थ और वर्तनी की शुद्धता की।
स्रोत्र - स्रोत्र का अर्थ होता है - साधन या उद्गम अर्थात् मूल स्थान जहाँ से किसी की प्राप्ति होती है, जैसी - नदी का स्रोत, आय का स्रोत, शब्द का स्रोत आदि। अंग्रेज़ी के शब्द Source और Origin के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है।
साथ ही झरना और पानी का बहाव के लिए भी संस्कृत शब्द स्रोत का प्रयोग होता है।
स्त्रोत - स्त्रोत शब्द स्रोत का ही एक लोक प्रचलित रूप है किंतु इस शब्द का कोई अर्थ नहीं है। यह एक निरर्थक शब्द है।
एक अन्य शब्द स्तोत्र के लिए भी स्त्रोत शब्द का प्रयोग देखने को मिलता है।
स्तोत्र - स्तोत्र शब्द (स् + त् + ओ + त् + र् + अ) वर्णों के मेल से बना है। संस्कृत साहित्य में देवी-देवताओं की स्तुति (प्रशंसा) में लिखे गए काव्य को स्तोत्र कहा जाता है, जैसे - शिव तांडव स्तोत्र, श्री राम रक्षा स्तोत्रम्, सूर्य स्तोत्र आदि।
अतः स्रोत और स्तोत्र दोनों शुद्ध वर्तनी वाले शब्द हैं। इनके अलग-अलग अर्थ ऊपर दिए गए हैं। स्त्रोत अशुद्ध वर्तनी है। भ्रमवश अक्सर यह शब्द (स्त्रोत) दोनों शब्दों (स्रोत तथा स्तोत्र) के लिए लोगों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है।
यह भी देखें :-
भ्रांतिजनक शब्दों की पहचान भाग - 1
सहस्र और सहस्त्र में अंतर
(Difference between Sahasra and Sahastra)
इसी प्रकार सहस्र और सहस्त्र शब्दों में भ्रम बना रहता है।
सहस्त्र शब्द का अर्थ है - हज़ार (10 सौ)।
सहस्त्र शब्द संस्कृत और हिंदी भाषा में है ही नहीं परंतु अनेक स्थलों पर सहस्र के स्थान पर सहस्त्र का प्रयोग किया जाता है। इंटरनेट पर, यहाँ तक कि अनेक शब्दकोशों में भी सहस्त्र शब्द मिलता है।
शायद हिंदी में अस्त्र, शस्त्र, स्त्री, वस्त्र आदि प्रचलित शब्दों के कारण 'स्र' वाले शब्दों को अशुद्ध लिखा जाने लगा होगा।
निष्कर्षतः 'स्र' संयुक्त अक्षर वाले शब्द जैसे - स्राव (बहाव), हिंस्र (हिंसक), स्रावित (छिपने के स्थान पर जमा करना), मिस्र (एक देश का नाम - Egypt) बहुत कम हैं इसलिए भ्रम के कारण स्रोत का स्त्रोत और सहस्र का सहस्त्र हो गया।
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