NCERT Study Material for Class 10 Hindi Kshitij Chapter- 5. 2 'Fasal' (Explanation, Textbook Question-Answers and Extra Questions /Important Questions with Answers)
हमारे ब्लॉग में आपको NCERT पाठ्यक्रम के अंतर्गत कक्षा 10 (Course A) की हिंदी पुस्तक 'क्षितिज' के पाठ पर आधारित प्रश्नों के सटीक उत्तर स्पष्ट एवं सरल भाषा में प्राप्त होंगे। साथ ही काव्य - खंड के अंतर्गत निहित कविताओं एवं साखियों आदि की विस्तृत व्याख्या भी दी गई है।
यहाँ NCERT HINDI Class 10 के पाठ - 5. 2 'फसल' की व्याख्या दी जा रही है। इस कविता की व्याख्या पाठ की विषय-वस्तु को समझने में आपकी सहायता करेगी। इसे समझने के उपरांत आप पाठ से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर सरलता से दे सकेंगे। आपकी सहायता के लिए पाठ्यपुस्तक में दिए गए प्रश्नों के उत्तर (Textbook Question-Answers) एवं अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर (Extra Questions /Important Questions with Answers) भी दिए गए हैं। आशा है यह सामग्री आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
पाठ परिचय
फसल शब्द सुनते ही खेतों में लहलहाती फसल हमारी आँखों के सामने आ जाती है। परंतु फसल कैसे पैदा होती है? उसके बढ़ने में किन - किन तत्वों का सहयोग है? इस बारे में हम नहीं सोचते।
कवि नागार्जुन ने अपनी कविता 'फसल' में यही बताया है कि फसल क्या है और उसे पैदा करने में कौन से तत्वों का योगदान होता है। कविता का मूल भाव यह है कि फसल प्रकृति और मनुष्य के द्वारा मिलजुल कर किए गए प्रयासों का परिणाम है।
फसल
एक के नहीं,
दो के नहीं,
ढेर सारी नदियों के पानी का जादू :
एक के नहीं,
दो के नहीं,
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा :
एक की नहीं,
दो की नहीं,
हज़ार - हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म :
शब्दार्थ -
कोटि - करोड़
स्पर्श - छूना
गरिमा - महत्त्व
गुण धर्म - विशेषताएँ
व्याख्या -
फसल को पैदा करने के लिए एक या दो नहीं बल्कि अनेक नदियों से मिलने वाला पानी अपना जादुई असर दिखाता है। नदियों का पानी भाप बन कर उड़ता है और आकाश में बादलों का रूप ले लेता है। अनेक नदियों के पानी से बने, यही बादल वर्षा ऋतु में जब बरसते हैं तो उनका पानी फसलों के बढ़ने में सहायक होता है। उस पानी के कारण फसल पनपती (जीवित रहती) है।
कवि कहते हैं कि एक या दो व्यक्तियों की नहीं बल्कि लाखों - करोड़ों हाथों द्वारा इसे छुए जाने पर फसल को यह गरिमा प्राप्त हुई है अर्थात् यह फसल लाखों - करोड़ों किसानों की मेहनत का परिणाम है।
कवि आगे कहते हैं कि एक या दो नहीं बल्कि हज़ारों खेतों की मिट्टी का गुण - धर्म फसल में छिपा होता है। खेतों की मिट्टी का गुण - धर्म अर्थात् विशेषता है उसका - उपजाऊपन और पोषक तत्व । हर तरह की मिट्टी की अपनी विशेषता होती है। उसका गुण होता है। अलग - अलग फसलें अलग - अलग गुण (विशेषता) वाली मिट्टी पर उगाई जाती हैं जिससे कि उनकी पैदावार अच्छी हो।
अतः कविता में, अनेक नदियों के पानी , लाखों - करोड़ों किसानों के हाथों द्वारा किए गए परिश्रम और मिट्टी में मिले हुए अलग - अलग पोषक - तत्वों के सहयोग को कवि ने फसल के लिए आवश्यक बताया है।
फसल क्या है?
और तो कुछ नहीं है वह
नदियों के पानी का जादू है वह
हाथों के स्पर्श की महिमा है
भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
शब्दार्थ -
महिमा - गौरव, बड़ाई
संदली - चंदन के रंग वाली
रूपांतर - परिवर्तन (बदलाव)
थिरकन - लहलहाना
व्याख्या -
कवि पूछते हैं कि फसल क्या है? अपने प्रश्न का उत्तर देते हुए कवि स्वयं कहते हैं कि जिन नदियों के जल से खेतों को सींचा गया और जिनका पानी भाप में परिवर्तित (बदल कर) हो कर बादलों के जल के रूप में बरसा, उन नदियों के पानी का जादू है फसल। खेतों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलने पर ही बीज, छोटे - छोटे पौधों के रूप में बढ़ते हैं और धीरे-धीरे फसल का रूप ले लेते हैं जिन पर अनाज, सब्ज़ियाँ और फल उगते हैं।
हम सभी जानते हैं कि कोई भी व्यक्ति फसल के बिना नहीं रह सकता। जितना महत्त्व हम फसल या अन्न को देते हैं उतना ही महत्त्व उसे पैदा करने वाले किसान का भी है। किसान अपने हाथों से हल चलाते हैं, बीज बोते हैं फिर छोटे पौधों की अपने हाथों से देखभाल करते हैं। अतः हमें किसानों के परिश्रम के परिणाम के रूप में फसल प्राप्त होती है।
मिट्टी पौधों को पोषक तत्व और अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ देती है जिन्हें प्राप्त करके पौधे फलते-फूलते (बढ़ते) हैं। अलग - अलग मिट्टी की अलग - अलग विशेषताओं, पोषक तत्वों और गुणों को अपने अंदर ग्रहण करके फसल बढ़ती है।
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया (Photo synthesis) में सूरज की किरणों को ग्रहण करके हरी पत्तियाँ अपना भोजन अर्थात् पोषण प्राप्त करती हैं। फसल के उगने में सूरज की किरणों का भी योगदान होता है।
हवा का सिमटा संकोच और उसकी थिरकन अर्थात् धीमी गति से बहती हवा, फसल को छू कर प्राणवायु (आक्सीजन) का कार्य करती है। अतः फसल को बढ़ा करने में हवा भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रकृति के ये सभी अंग (नदियों का पानी, मिट्टी के पोषक तत्व, सूरज की किरणें और हवा) फसल को बढ़ा करने में अपना योगदान देते हैं इसलिए ये सभी तत्व फसल के लिए आवश्यक हैं। साथ ही मनुष्य (किसान) का श्रम भी फसल के पालन-पोषण में सहायक होता है। अतः प्रकृति और मनुष्य के सहयोग से ही सृजन संभव है। कहने का अर्थ यह है कि प्रकृति और मनुष्य ने मिलकर फसलों का उत्पादन (पैदा) किया है।
पाठ्यपुस्तक में दिए गए प्रश्नों के उत्तर
(Textbook Question-Answers)
प्रश्न - अभ्यास
1. कवि के अनुसार फसल क्या है?
उत्तर - कवि के शब्दों में फसल नदियों के पानी का जादू है, मनुष्य के हाथों के स्पर्श की महिमा है, भूरी - काली - संदली मिट्टी का गुण धर्म है, सूर्य की किरणों का परिवर्तित (बदला हुआ) रूप है तथा हवा की थिरकन का सिमटा हुआ संकोच है। कवि के अनुसार फसल प्रकृति और मनुष्य के द्वारा मिलजुल कर किए गए प्रयासों का परिणाम है।
2. कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन - कौन से हैं?
उत्तर - कविता में फसल उपजाने के लिए जिन आवश्यक तत्वों की बात कही गई है, वे सभी अच्छी फसल के लिए समान रूप से आवश्यक हैं -
(i) खेतों की सिंचाई के लिए और वर्षा के बादल बनाने के लिए नदियों का पानी।
(ii) फसल उगाने वाले किसान जो अपने हाथों से हल चलाते हैं, बीज बोते हैं फिर छोटे पौधों की अपने हाथों से देखभाल करके उन्हें फसल के रूप में बड़ा करते हैं।
(iii) मिट्टी में मिले हुए प्राकृतिक तत्व, खनिज पदार्थ और पोषक तत्व जिनके मेल से किसी भी मिट्टी का रंग और गुण धर्म या विशेषता अन्य मिट्टियों से अलग हो जाता है।
(iv) सूरज की किरणों को ग्रहण करके हरी पत्तियाँ अपना भोजन अर्थात् पोषण प्राप्त करती हैं। फसल के उगने में सूरज की किरणों का भी योगदान होता है।
(v) हवा का सिमटा संकोच और उसकी थिरकन अर्थात् धीमी गति से बहती हवा, फसल को छू कर प्राणवायु (आक्सीजन) का कार्य करती है। अतः फसल को बढ़ा करने में हवा भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
3. फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा' और 'महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर - जब कोई कार्य अपने सुंदर रूप में संसार के सामने आता है तब सारा संसार उस कार्य की प्रशंसा करता है। वास्तव में वह कार्य कठोर परिश्रम का ही परिणाम होता है। इसी प्रकार लहलहाती फसल को कवि ने अनेक तत्वों के साथ - साथ हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा कहा है। यहाँ कवि का तात्पर्य किसानों के परिश्रम करने वाले हाथों से है। जिनके हाथों से अच्छी देखभाल पा कर छोटे-छोटे पौधे फसल बनते हैं। इस पंक्ति के द्वारा कवि फसल के उगने में किसानों के श्रम का महत्त्व और गौरव बताना चाहते हैं।
4. भाव स्पष्ट कीजिए -
(क) रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
उत्तर - फसल सूरज की किरणों का बदला हुआ रूप है अर्थात् पौधे सूरज की किरणों के प्रकाश से भोजन बनाते हैं और बढ़ते हैं। इस प्रकार सूरज का प्रकाश ग्रहण करके पौधे फसल में परिवर्तित होते हैं।
फसलों के फलने - फूलने में हवा की थिरकन का भी योगदान होता है। हवा जब इन्हें धीरे - से छूती है तब पौधे साँस लेते हैं। इस प्रकार हवा का सिमटा हुआ रूप संकुचित होकर पौधों में समा जाता है और फसल लहलहाती है।