NCERT Study Material for Class 10 Hindi Kshitij Chapter- 4. 2 'At nahi rahi hai' (Explanation, Textbook Question-Answers and Extra Questions /Important Questions with Answers)
हमारे ब्लॉग में आपको NCERT पाठ्यक्रम के अंतर्गत कक्षा 10 (Course A) की हिंदी पुस्तक 'क्षितिज' के पाठ पर आधारित प्रश्नों के सटीक उत्तर स्पष्ट एवं सरल भाषा में प्राप्त होंगे। साथ ही काव्य - खंड के अंतर्गत निहित कविताओं एवं साखियों आदि की विस्तृत व्याख्या भी दी गई है।
यहाँ NCERT HINDI Class 10 के पाठ - 4.2 'अट नहीं रही है' की व्याख्या दी जा रही है। इस कविता की व्याख्या पाठ की विषय-वस्तु को समझने में आपकी सहायता करेगी। इसे समझने के उपरांत आप पाठ से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर सरलता से दे सकेंगे। आपकी सहायता के लिए पाठ्यपुस्तक में दिए गए प्रश्नों के उत्तर (Textbook Question-Answers) एवं अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर (Extra Questions /Important Questions with Answers) भी दिए गए हैं। आशा है यह सामग्री आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
पाठ - परिचय
'अट नहीं रही है' कविता में कवि ने फागुन की बेसुध (मदहोश) करने वाली सुंदरता का वर्णन किया है। फागुन का महीना हिंदी कैलेंडर का एक महीना है जो आधे फरवरी और आधे मार्च का महीना है। कवि ने इस कविता में फागुन मास का मानवीकरण किया है। फागुन मास में बसंत ऋतु के आने पर प्रकृति अपने सुंदरतम रूप में दिखाई देती है।
फागुन का सौंदर्य इतना अधिक है कि कवि उसमें खो गया है। वातावरण में फैली सुंदरता के वर्णन के साथ-साथ कवि यह भी बताना चाहता है कि जब व्यक्ति का मन प्रसन्न होता है तो हर जगह सुंदरता और खुशी दिखाई देती है। कहने का अर्थ यह है कि जब मनुष्य प्रसन्न होता है तो उसे हर ओर वैसे ही खुशहाली, हरियाली और सुंदरता दिखाई देती है जैसी फागुन के महीने में चारों ओर होती है।
अट नहीं रही है
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
शब्दार्थ -
अट - समाना
आभा - चमक, सुंदरता
व्याख्या -
कवि फागुन मास की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहते हैं कि फागुन की चमक और सुंदरता उसके शरीर रूपी वातावरण में समा नहीं रही है। कहने का अर्थ यह है कि फागुन का सौंदर्य इतना अधिक है कि वह इस पूरे वातावरण में समा नहीं रहा है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
शब्दार्थ -
नभ - आकाश
व्याख्या -
कवि फागुन का मानवीकरण करते हुए कहते हैं कि जब भी सुगंधित हवा चलती है तो ऐसा लगता है जैसे फागुन साँस ले रहा है। उसके साँस लेने से हर एक घर महकती हवा से भर जाता है अर्थात् हर ओर महकती हवा फैली हुई है। फागुन का महीना पूरे वातावरण को आनंद से भर देता है। इसी आनंद में झूमते हुए पक्षी आकाश में अपने पंख फैलाकर उड़ने लगते हैं। प्रकृति का यह मनमोहक रूप कवि के मन में उत्साह और उमंग को भर रहा है। कवि का मन उत्साह और उमंग के पंख लगाकर कल्पना के आकाश में उड़ने को कर रहा है। इस पंक्ति द्वारा कवि कहना चाहते हैं कि जब मन बहुत अधिक प्रसन्न होता है तब वह भी कल्पना के पंख लगाकर एक पक्षी के समान ऊँचे आकाश में उड़ना चाहता है।
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
व्याख्या -
इस सुंदर वातावरण को देखकर मन बहुत अधिक प्रसन्न हो रहा है कि इसे बिना पलक झपकाए देखते रहने का मन करता है। इससे आँखें हटाने का मन ही नहीं करता और अगर हटाना भी चाहूँ या आँखें बंद भी कर लूँ तो भी मन में यह दृश्य दिखाई देता है। कहने का अर्थ यह है कि कवि के मन में यह सुंदर दृश्य इस प्रकार समा गया है कि यदि वह इस प्राकृतिक सुंदरता से आँखें हटा भी लें तो भी उनके मन और मस्तिष्क पर उसका इतना अधिक प्रभाव है कि उन्हें ये सुंदर दृश्य ही दिखाई दे रहे हैं।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल,
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।
शब्दार्थ -
पाठ-पाट - जगह-जगह
शोभा-श्री - भरपूर सुंदरता
पट - समा नहीं रही है
व्याख्या -
चारों ओर प्रकृति अपने खुशहाल रूप में दिखाई दे रही है। पेड़ों की डालियाँ हरे - हरे पत्तों और रंग-बिरंगे फूलों से लदी हुई हैं अर्थात् पेड़ों पर तरह-तरह के फूल खिले हैं और नए-नए पत्ते आ गए हैं। ऐसा लगता है मानो वृक्षों ने फूलों की माला पहनी है। वृक्षों के आसपास हल्की-हल्की सुगंध फैली हुई है। वातावरण में जगह-जगह फागुन की सुंदरता को बिखरा हुआ देखकर कवि को प्रतीत होता है कि फागुन की यह अपार सुंदरता धरती पर समा नहीं पा रही है।
पाठ्यपुस्तक में दिए गए प्रश्नों के उत्तर
(Textbook Question-Answers)
प्रश्न - अभ्यास
1. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कवि की किन पक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर - आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
2. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर - फागुन में प्रकृति की सुंदरता अपने चरम पर होती है। चारों ओर फागुन का सौंदर्य बिखरा हुआ है। इस समय पेड़ों की डालियाँ रंग - बिरंगे फूलों और हरे-हरे पत्तों से लदी दिखाई देती हैं। ऐसा सुंदर दृश्य देखकर कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। इन सुंदर दृश्यों को देखकर उसे बहुत आनंद प्राप्त हो रहा है। यही कारण है कि कवि चाह कर भी अपनी आँख फागुन की सुंदरता से हटा नहीं पाता।
3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?
उत्तर - कवि को प्रकृति का हर रूप सुंदर प्रतीत हो रहा है इसलिए कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन अनेक रूपों में किया है -
(i) प्रकृति का सौंदर्य रंग - बिरंगे फूलों, पत्तों और हवा के सुगंधित झोंकों में दिखाई देता है।
(ii) प्रकृति का प्रभाव लोगों के तन और मन दोनों पर पड़ रहा है।
(iii) चारों ओर प्रसन्नता, सुंदरता और उमंग का वातावरण नज़र आता है।
4. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?
उत्तर - फागुन में मौसम बहुत सुहावना होता है। इस महीने में ऋतुओं के राजा बसंत का आगमन होता है। इस समय न अधिक सर्दी होती है और न ही अधिक गर्मी। प्रकृति धरती को हरा - भरा कर देती है। धरती पर सबसे अधिक फूल इसी मौसम में खिलते हैं। सभी ओर से आती फूलों की सुगंध वातावरण को मनमोहक बनाती है। प्रकृति की सुंदरता को देखकर पशु, पक्षी, मनुष्य आदि सभी का मन प्रसन्न हो जाता है। चारों ओर आनंद और उल्लास का ऐसा वातावरण अन्य ऋतुओं में नहीं दिखाई देता इसलिए फागुन मास अन्य ऋतुओं से भिन्न है।
5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर - निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -
(i) छायावादी कवि होने के कारण निराला जी की कविताओं में प्रकृति के प्रति विशेष लगाव दिखाई देता है । दोनों कविताओं में ही उन्होंने प्रकृति का चित्रण बड़ी कुशलता से किया है।
(ii) निराला जी प्रकृति का मानवीकरण करने में कुशल हैं। उन्होंने दोनों ही कविताओं में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया है। 'उत्साह' कविता में उन्होंने बादल का मानवीकरण कर उसे गरजने को कहा है तो 'अट नहीं रही है' कविता में फागुन मास का मानवीकरण कर उसकी सुंदरता का वर्णन किया है।
(iii) 'उत्साह' कविता में उन्होंने ओज के स्वर के साथ साथ वीर रस प्रयोग किया है तो 'अट नहीं रही है' में उन्होंने प्रकृति की सुंदरता के वर्णन में श्रृंगार रस का प्रयोग किया है।
(iv) दोनों ही कविताओं में उन्होंने तत्सम शब्दों से युक्त खड़ी बोली का प्रयोग किया है।
(v) मानवीकरण अलंकार के साथ-साथ कविता में चमत्कार और सौंदर्य लाने के लिए उन्होंने अनुप्रास, उपमा, रूपक और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकारों का प्रयोग किया है।
रचना और अभिव्यक्ति
6. होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर - हिंदी महीने फागुन के बाद चैत्र के महीने में होली का त्योहार आता है। होली के आसपास भी मौसम सुहावना होता है। सर्दी कम हो जाती है। आसमान साफ़ होता है। मंद - मंद हवा बहती है। फ़सलें पकने लगती हैं। फ़सलों की कटाई होती है। इस प्रकार प्रकृति में अनेक परिवर्तन दिखाई देते हैं।