मौखिक अभिव्यक्ति (Oral Expression) अथवा वाचन कौशल (Speaking Skill) के अंतर्गत आशु भाषण (Ashubhashan - Extempore), भाषण (Bhashan - Speech) आदि प्रतियोगिताओं के लिए विभिन्न विषय तैयार किए जाते हैं। यहाँ दी गई विषयवस्तु निम्नलिखित विषयों के अनुरूप है-
विषय -
# सेवा कार्य से समाज परिवर्तन
# समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के
# लिए सेवा भाव की आवश्यकता
# सेवा भाव
#आज की पीढ़ी और सेवा भाव
# सेवा और समाज सुधार
उस परम पिता परमात्मा को मेरा कोटि-कोटि नमन जिन्होंने मुझे मनुष्य रूप प्रदान कर, मुझ पर, आप पर, आप सभी पर अपनी विशेष कृपा दिखलाई।
मेरा ऐसा मानना है कि ईश्वर ने मनुष्य को सभी प्राणियों से श्रेष्ठ बनाया है। धरती पर मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो अपनी सोच, अपनी समझ से केवल अपना ही नहीं दूसरों का जीवन सँवारने की भी क्षमता रखता है। मनुष्य की अच्छी सोच, उसके मन के अच्छे भाव ही विकसित होकर सच्चाई, सेवा और समर्पण में बदलते हैं। यह भाव जितने गहरे होंगे, सेवा और समाज के लिए कुछ करने का भाव उतना ही दृढ़ हुआ होगा।
सेवा के दो रूप हैं- स्वयं सेवा और लोक सेवा। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अपने साथ- साथ अपने परिवार, अपने प्रियजनों आदि की सुरक्षा और उनकी भलाई के लिए जो कार्य करता है उसमें कम या ज़्यादा, उसका खुद का स्वार्थ छिपा होता है। माता- पिता और गुरुजनों की सेवा सबसे उत्तम मानी गई है। सेवा एक पवित्र भाव है इसलिए चाहे वह अपने निकट संबंधियों की ही क्यों न हो उससे भला तो अवश्य ही होता है। इससे मनुष्य का विकास भी होता है।
सेवा का दूसरा रूप है लोक सेवा। निष्काम भाव से की गई सेवा, सबका भला चाहने की भावना से सिर्फ एक इंसान का ही नहीं लोग का, समाज का भी विकास होता है। हमारे धार्मिक ग्रंथ, हमारे देश का इतिहास, हमारी संस्कृति, सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानती है। महाकवि तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में कहा है - "परहित सरिस धर्म नहीं भाई" इसी मूल मंत्र को अपने जीवन का आधार मानते हुए अनेक महान व्यक्तियों ने, ऋषियों ने अपना जीवन समाज की भलाई और उसके विकास के लिए समर्पित कर दिया। महर्षि दधीचि, मदर टेरेसा, हमारे देश के दार्शनिक, विचारक, डॉक्टर, देश की रक्षा के लिए सीमा पर डटे हमारे सैनिक, आदि अनेक ऐसे प्रेरणास्रोत हैं जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में देश और समाज को अपनी सेवाएँ दी।
हम समाज का एक अंग होने के नाते अनेक रूपों में अपनी सेवा से सकारात्मक (अच्छे) परिवर्तन ला सकते हैं। समाज में परिवर्तन लाने के लिए बहुत पैसे होना ज़रूरी नहीं है। सेवा किसी भी रूप में की जा सकती है। सरकार आम जनता को ज़रूरी सुविधाएँ प्रदान करने के लिए अनेक योजनाएँ बनाती है, जिनका पता सभी नागरिकों को नहीं होता। यदि जागरूक व्यक्ति उन योजनाओं के बारे में सभी को बताएँ तो इन योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ इन योजनाओं से अनजान नागरिक भी उठा पाएँगे। जिससे समाज का कल्याण होगा।
आजकल लगभग सभी काम ऑनलाइन हो जाते हैं। सभी तरह के डिजिटल कामों में तकनीकी ज्ञान न हो पाने के कारण कई लोगों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों की छोटी-छोटी सहायता से आज का नौजवान या कंप्यूटर की समझ (तकनीकी ज्ञान) रखने वाला व्यक्ति समाज के लिए किसी फ़रिश्ते से कम नहीं होता। समाज की बेहतरी के लिए स्वास्थ्य, रोज़गार, पढ़ाई - लिखाई, आदि अलग-अलग क्षेत्रों से संबंध रखने वाले समूह अपना कार्य ईमानदारी से करके सामाजिक व्यवस्था को मज़बूत बना सकते हैं। आज से पहले भी आर्य समाज, ब्रह्म समाज रामकृष्ण मिशन आदि संगठनों ने समाज की सेवा करते हुए समाज को नई दिशा प्रदान की थी। यदि सेवा भाव में ईमानदारी, समर्पण, दया के गुण मिले हों तो ऐसी सेवा समाज में अच्छे परिवर्तन लाने में पूरी तरह सक्षम होती है।
हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि समाज को बेहतर बनाने के लिए मैं सेवा कर रहा हूँ बल्कि यह सोचना चाहिए कि समाज की सेवा करते हुए मैं खुद को बेहतर बना सकता हूँ। यही मनुष्य जीवन की सार्थकता है।